Best love shayari in Hindi
तू कभी बिछड़ा नहीं और तू मिला भी नहीं
पर मुझे तुझसे कोई शिकवा नहीं, ग़िला भी नहीं..
तू भले मुझसे ख़फ़ा है और तू दूर भी है.
मगर तुझसे ऐ दोस्त दिल को फ़ासला भी नहीं..
मै कैसे दिखलाऊं तुझको दिल की सच्चाई.
एक अरसे से तू मुझसे गले मिला भी नहीं..
वो एक वक़्त था जब दिल से दिल मिले थे यहाँ
ये एक वक़्त है बातों का सिलसिला भी नहीं..
तू मुझे कुछ समझ मुझको तो तुझसे प्यार है दोस्त
तुझ सा कोई ढ़ूंढ़ा नहीं और मिला भी नहीं
मुझे पता है मुझ में लाख कमी हैं शायद.
ये बेरुख़ी मगर दोस्ती का सिला भी नहीं
कभी कभी मुझे लगता है कि भूल जाँऊं तुझे
मगर ये सच है मुझमें भूलने का हौंसला भी नहीं
तू खुश रहे ये दुआ मैं तेरी कसम रोज़ करती हूँ.
और अपने ग़म का मुझे अब कोई ग़िला भी नहीं
बस इक उम्मीद है तुझ को गले लगाऊँ कभी
कि वो एहसास मुझे फ़िर कहीं मिला भी नहीं..
#Gaon_Seher_aur_Aameeri
तेरी बुराइयों को हर अख़बार कहता है,
और तू मेरे गांव को गँवार कहता है //
ऐ शहर मुझे तेरी औक़ात पता है //
तू चुल्लू भर पानी को भी वाटर पार्क कहता है //
थक गया है हर शख़्स काम करते करते //
तू इसे अमीरी का बाज़ार कहता है।
गांव चलो वक्त ही वक्त है सबके पास !!
तेरी सारी फ़ुर्सत तेरा इतवार कहता है //
मौन होकर फोन पर रिश्ते निभाए जा रहे हैं //
तू इस मशीनी दौर को परिवार कहता है //
जिनकी सेवा में खपा देते थे जीवन सारा,
तू उन माँ बाप को अब भार कहता है //
वो मिलने आते थे तो कलेजा साथ लाते थे,
तू दस्तूर निभाने को रिश्तेदार कहता है //
बड़े-बड़े मसले हल करती थी पंचायतें //
तु अंधी भ्रष्ट दलीलों को दरबार कहता है //
बैठ जाते थे अपने पराये सब बैलगाडी में //
पूरा परिवार भी न बैठ पाये उसे तू कार कहता है
अब बच्चे भी बड़ों का अदब भूल बैठे हैं //
तू इस नये दौर को संस्कार कहता है //
चीख़ते हैं दर-ओ-दीवार नहीं होता मैं
आँख खुलने पे भी बेदार नहीं होता मैं
ख़्वाब करना हो सफ़र करना हो या रोना हो
मुझ में ख़ूबी है बेज़ार नहीं होता में
अब भला अपने लिए बनना सँवरना कैसा
ख़ुद से मिलना हो तो तय्यार नहीं होता मैं
कौन आएगा भला मेरी अयादत के लिए
बस इसी ख़ौफ़ से बीमार नहीं होता मैं
मंज़िल-ए-इश्क़ पे निकला तो कहा रस्ते ने
हर किसी के लिए हमवार नहीं होता मैं
तेरी तस्वीर से तस्कीन नहीं होती मुझे
तेरी आवाज़ से सरशार नहीं होता मैं
लोग कहते हैं मैं बारिश की तरह हूँ 'हाफ़ी'
अक्सर औक़ात लगातार नहीं होता मैं
किसी ने कहा, जख्मों पर मरहम लगाओ,
जल्दी भर जायेंगे।
किसी ने कहा, जख्मों को खुला छोड़ दो,
जल्दी सुख जायेंगे।
किसी ने कहाँ, ज़ख्मो को वक़्त पर छोड़ दो,
ज़ख्मो के साथ जीना सीख जाओगे।
पर मेरा अनुभव कहता है, ये सब गलत है।
मरहम लगाया तो नमक छिड़का गया
खुला छोड़ा तो कुरेदा गया।
कैसे सीखे उन ज़ख्मो के साथ जीना,
जिसे वक़्त ने नासूर बना दिया।
नासूर बने जख्म की ही तरह,
टीसते है कुछ अहसास, जो अपने देते है।
अपने ही है वो, जो तानों का नमक डालते है,
और अपने ही कुरेदते है।
इन अहसासों के साथ न तो जीना सीख पाते है,
न इन्हें भूल पाते है।
रह जाती है नियति इनकी, सिर्फ टीसते रहना।
हाँ, जीवन भर टीसते रहना।
खुश है शाम को गाढ़ी कमाई मिलेगी।
पर डर भी है रस्ते में महंगाई मिलेगी।।
फिर भी वो लड़कर बचाकर लाता है-
पता है औलाद पलकें बिछाई मिलेगी।
गरीब गरीब,अमीर अमीर हो रहा है-
इनके बीच बहुत बड़ी खाई मिलेगी।
आपस में जुड़े हुए सब तार जानते हैं-
ऊपर से नीचे सबको बँधाई मिलेगी।
प्यादों के पास सिर्फ़ तेल मिलता है-
सूत्रधारों के पास दियासलाई मिलेगी।
14 तारीख थी उस दिन और फरवरी का महीना था किसी को प्यार मिला अपना किसी ने सजना खोया था किसी के घर में खुशियां थी किसी के घर के रोना था पर जो किस्मत में था प्यारे वो तो होके रहना था कब आयेगा बेटा मेरा कब साजन मेरा लौटेगा इंतजार में वो बैठी होगी कभी कभी तो याद करके अब भी उनको रोती होगी गले लगा तस्वीरों को बात दिल की कहती होगी जब तू जंग में लड़ता था दिल मेरा भी धड़कता था मैने दिल को कश के पकड़ा था पर तू जिंदगी से फिसल गया valentine का दिन था मेरा और black day में बदल गया
सीआरपीएफ 14 फरवरी 2019 पुलवामा हमला
By James
हक़ीक़त को तुम और न हम जानते हैं।
मुहब्बत को बस इक भरम जानते हैं।
मैं क्या इसके बारे में मंज़िल से पूछूँ,
थकन मेरी मेरे क़दम जानते हैं।
हमें भूल जाने की आदत है लेकिन,
तुम्हे हम तुम्हारी क़सम जानते हैं।
है छुपना कहाँ और बहना कहाँ है,
ये आंसू सब अपना धरम जानते हैं।
छलकती है क्यों आँख हमको पता है,
कहाँ सब बिछड़ने का ग़म जानते हैं
दिया तो है मजबूर कैसे बताये
उजालों की तकलीफ तम जानते हैं
है जो कुछ मयस्सर हमें इस जहाँ में
हम उसको खुदा का करम जानते हैं।
हम दर्द से हाथ ना मिलाते तो क्या करते
हम ग़म केे आँसू ना बहाते तो क्या करते
उसने मांगी थी रौशनी हम से हम खुद को
ना जलाते तो क्या करते...☺
ये कब चाहा कि मैं मशहूर हो जाऊँ,
बस अपने आप को मंज़ूर हो जाऊँ..
न बोलूँ सच तो कैसा आईना मैं,
जो बोलूँ सच तो चकना-चूर हो जाऊँ..
बहाना कोई तो ऐ ज़िंदगी दे,
कि जीने के लिए मजबूर हो जाऊँ..
मेरे अंदर से गर दुनिया निकल जाए,
मैं अपने-आप में भरपूर हो जाऊँ।
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